Saturday, September 1, 2012

Tribute to Neil Armstrong_26 Aug 12

//चाँद का पहला मेहमान//















आसमान पे बिछाई अँधेरे की चिलमन,
हर रात थोड़ी थोड़ी हटाकर,
वो चाँद झाकता हे फलक से..
राह देखता हे,
इंतज़ार करता हे किसी का वो..


यु तो कुछ करोडो सालो से चल रहा हे,
ये सिलसिला उसका,
पर कभी एक पल के लिए भी थका नहीं वो..

आखिर थके भी क्यों भला?
कुछ साल पहले 'एक नीले तारें' को देख, कुछ माँगा था उसने,

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
जो दुआ पूरी हुई थी 'neil' के रूप में..
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
अब तक अकेले ही तो जी रहा था,
इतने तारों की भीड़ में तन्हा खड़ा था..

उस 'फ़रिश्ते' ने कदम रख के उसकी ज़मीन पे,

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
एक अंजान से लगने वाले चाँद को अपना बना लिया..

तभी से शायद बच्चों के लिए चंदामामा,
और प्रेमियों की प्रेमिका वो बन गया..

आज उस 'चाँद का पहला मेहमान' छोड़ गया हमे..
 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
हमे गम हे बड़ा,
पर शायद "वो" खुश है !
मैंने पुछा तो कहता है,
मेरे पड़ोस का ही सितारा ख़रीदा है "उसने",
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
अब वो यही रहेगा..
मेरे पास.. बहुत पास..!!!
 
 
//विशाल राजेंद्र शिंदे//
//26 aug 12//